रामायण पर केजरीवाल ने बीजेपी को क्यों सुना दिया?
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तीखा हमला किया है। इस बार उनका निशाना रामायण और धर्म से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी की राजनीति रही। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि बीजेपी रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों और भगवान राम के नाम का इस्तेमाल केवल चुनावी फायदे के लिए करती है, जबकि असल मुद्दों पर काम नहीं करती।
केजरीवाल का बयान
केजरीवाल ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “भगवान राम केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं हैं, बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिनके आदर्श हमें न्याय, सत्य और सेवा सिखाते हैं। लेकिन बीजेपी ने भगवान राम के नाम को राजनीतिक प्रचार का साधन बना दिया है।”
उन्होंने राम मंदिर के निर्माण और रामायण से जुड़े मुद्दों पर हो रही राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी ने धर्म को राजनीति से जोड़कर जनता को भटकाने का काम किया है। केजरीवाल ने तंज कसते हुए कहा, “अगर बीजेपी को सच में भगवान राम की परवाह है, तो वे रामराज्य के आदर्शों पर काम क्यों नहीं करते?”
बीजेपी पर विकास से ध्यान भटकाने का आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए धर्म और परंपरा का सहारा लेती है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को चाहिए कि वह स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान दे। केजरीवाल ने यह भी दावा किया कि उनकी सरकार ने दिल्ली में रामराज्य की अवधारणा को वास्तविकता में बदलने के लिए काम किया है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेताओं ने केजरीवाल के बयान को ‘धार्मिक भावनाओं का अपमान’ बताया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) धर्म का इस्तेमाल करके केवल विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल खुद धर्म और आस्था का सम्मान नहीं करते और केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।
धर्म और राजनीति का बढ़ता विवाद
केजरीवाल और बीजेपी के बीच धर्म को लेकर यह नया विवाद कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले भी दोनों पक्ष राम मंदिर, हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक मुद्दों पर एक-दूसरे को घेर चुके हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर केजरीवाल के बयान की मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने उनकी बातों का समर्थन करते हुए कहा कि धर्म को राजनीति से अलग रखना चाहिए, जबकि अन्य ने इसे राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा बताया।
निष्कर्ष
रामायण और धर्म के मुद्दों पर राजनीति भारत में कोई नई बात नहीं है, लेकिन अरविंद केजरीवाल द्वारा बीजेपी पर किए गए इस तीखे हमले ने एक बार फिर बहस को गर्म कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में धर्म और विकास के इस द्वंद्व का क्या असर पड़ता है।